सभी चाहते हैं,
एक क्षितिज उसका अपना हो,
जो सिर्फ उसके लिए,
बूंदें बरसाए,
धुप बिखराए,
छाँव फैलाए,
सभी चाहते हैं।।।
मगर,
सभी नहीं जानते हैं,
उस क्षितिज का कोई नहीं अपना है,
जो सबके लिए,
बूंदें बरसाए,
धुप बिखराए,
छाँव फैलाए,
सभी चाहते हैं।।।
शिवांगी सौम्या सुहानी