Wednesday 25 November 2015

tolerant India


ऐ मेरे वतन के लोगों,
क्या भूल गए तूम वो कहानी,
जब था ये देश गुलाम ,
और सबने इसकी आजादी के लिए ,
लुटाई थी अपनी जान ,
वो लोग नहीं थे मूस्लिम,
ना थे वे हिन्दू ,सिख,ईसाई,
देश पर्ेम था उनका धर्म,
इसके अलावा उन्होनें कोई बात नहीं जानी,
😟😟😟💓
ऐ मेरे वतन के लोगों,
65 साल अब बीत गए,
और हमने आजादी है पाई ,
अब क्यों दंगे फैल रहें हैं???
जब देश में आजादी है।।।
धर्मों में सब बटें हैं क्यों???
जब हैं भारतीय होना हमारा अधिकार,???
क्यों अफवाहें फैला रहें हो???
क्यों अफवाहें मान रहें हो??
क्यों धार्मिक तत्वों के कारण???
अपने ही भाईयों का खून बहा रहे हो???
🙇🙇🙇
उसकी जान क्यों गई ,
इस बात से सब अनजान हैं!!
ना जाने क्यों उसके असली मूजरिम,,
अब तक फरार हैं???
राजनीति ही राजनीति फैली चारों ओर हैं,
ना जाने क्यों intolerance के मुद्दे पर जोर हैं??
अनेकता में एकता जिस देश की पहचान थी ।।
आज वहां फिर फूट परी है,
जिसके कारण वो  100 साल तक गूलाम थी।
🙈🙉🙉
कोई कहता है, हमें नहीं ये देश गवारा है,
हमें इसे छोऱ कहीं ओर जाना है,
ऐसे लोगों को भी भारत ने ही बनाया है,
पढे लिखे होकर भी ये कैसी बातें करते है,
ये तो छोऱो भारत का दिया सम्मान वापस करतें हैं।।
intolerance - intolerance की ये बातें करते है,
इतने भी हालात नहीं बिगऱे ,
जितना  ये दिखातें हैं।।
।ntolerance  intolerance कह के ,
अपने देश का नाम विश्व में शर्मशार करवाते है।।।
🙅🙅🙅🙅🙅🙅
आज हालात कुछ बदल गए,
हमने ऐ स्वीकारा है,
मगर इसके लिए कोई और नहीं,
जिम्मेवारी बस हमारा है।।।
क्योंकि कुछ महिनों से शायद,
हमने भारतीयता से ऊपर अपना धर्म माना है।।।
😖😖😖😖😔😔😔
कल तो नहीं बदल सकता है,
मगर आज हमारा है,
अपना भविष्य हमें स्वयं बनाना है,
अपने प्यारे भारत को फिर से स्वर्ग बनाना है,
और जो इसकी शान को चोट पहूंचाए
उसे सबक सिखाना है।।। ।।।
हमारा देश हमेशा से सहनशीलता का,
सर्व श्रेष्ट  उदाहरण था ,
और हमें इसे सदैव एसा ही बनाये रखना है।।।

Written by shivangi saumya
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