Friday, 8 January 2016

जिंदगी के उस मोर पे हुँ ।


जिंदगी के उस मोर पे हुँ ।


जिंदगी के उस मोर पे हुँ,

अकेली हुँ, और अकेली होना चाहती हुँ,

मगर अकेली होने से डरती भी हुँ ।


ऐसा नहीं है,

अकेली मैं नहीं रह सकती हुँ,

मगर अकेली से और अकेली होना नहीं चाहती हुँ ।


साथ से विश्वास उठ गया है,

बस शायद इसलिए खफा हुँ,

इसलिए और अकेली होना चाहती हुँ ।


साथ चाहती हुँ,

मगर निभाने के लिए नहीं,

बस दिखाने के लिए सही।


क्योंकि 'अकेली' हुँ,

और अकेली हो जाती हुँ,

क्योंकि दुनिया में  उसे भुल, कहीं और खो जाती है।


इसलिए कहती हुँ,

जिंदगी के उस मोर पे हुँ,

अकेली हुँ, और अकेली होना चाहती हुँ,

मगर अकेली होने से डरती भी हुँ ।


Written by 

Shivangi saumya suhani

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Tuesday, 15 December 2015

Bye bye funny shayri

Bye bye ,see u, tata...
Phone cut kiya...
To khaoge mujhse chanta
😀😁😂😇😛😜