Tuesday 23 August 2016

'स्वच्छ भारत', मेरा कहाँ?

'स्वच्छ भारत', मेरा कहाँ? 


मैं बसंती हवा, 

बहती चली मैं वहाँ, 

'स्वच्छ भारत', मेरा जहाँ।। 

'स्वच्छ भारत', मेरा जहाँ।। 


भ्रमणार्थ निकली, 

उत्तर, पुरब, दक्षिण, पश्चिम, 

खोजती मैं रही, 

'स्वच्छ भारत', मेरा कहाँ? 

'स्वच्छ भारत', मेरा कहाँ? 


दिखती रही मुझे हर जगह, 

बच्चों की समझदारीयाँ, 

वयस्कों की लापरवाहीयाँ, 

इसलिए फिर महसूस हुआ, 

'स्वच्छ भारत', मेरा कहाँ? 

'स्वच्छ भारत', मेरा कहाँ? 


आदर्श गांधीत्व न मिली, 

स्वच्छ भारतीत्व न मिली, 

बस कचरों की नदी दिखी, 

फिर मैं सोचती रही, 

'स्वच्छ भारत', मेरा कहाँ? 

'स्वच्छ भारत', मेरा कहाँ? 


गयी मैं हर ग्राम, 

गयी मैं हर शहर खास-आम, 

नहीं मिली खुशबु स्वच्छताम, 

फिर खो गई मैं, सुबह-शाम, 

'स्वच्छ भारत', मेरा कहाँ? 

'स्वच्छ भारत', मेरा कहाँ? 


फिर मैं पहुँची मेघों के देश में, 

छोटे गांव माउलाएनाँग के भावेश में, 

स्वच्छता जहाँ कण-कण आवेश में, 

तब आत्मविभूत हो ह्रदय ने कहा, 

'स्वच्छ भारत', मेरा यहाँ!! 

'स्वच्छ भारत', मेरा यहाँ!! 


शिवांगी सौम्या सुहानी 


If you like this poem do share with your friends and family

3 comments:

Unknown said...

👌👌👌👌👌👌👍

Unknown said...
This comment has been removed by the author.
Shivangi Saumya said...

Thanks sangram

Post a Comment

Say something about this post here
😊